ये महाभारत के प्रथम खण्ड से लिया गया है जब कुरु राजकुमार तरुण अवस्था में गुरुकुल में अपनी शिक्षा पूर्ण कर हस्तिनापुर आ गये थे। उनकी विद्या के प्रदर्शन के लिये आयोजित रङ्गभूमि में सभी राजकुमारों ने अपना युद्ध कौशल दिखलाया। ये वही रङ्गभूमि है जहाँ पर कर्ण अर्जुन को चुनौती देता है तथा सभा जनों के द्वारा अपना कुल ना बता पाने के कारण रङ्गभूमि में भाग लेने से रोक दिया जाता है। तत्पश्चात् दुर्योधन द्वारा उसे अङ्ग देश का राजा बना दिया जाता है।
इस रङ्गभूमि में अर्जुन द्वारा धनुर्विद्या का प्रदर्शन करते हुये जिन अस्त्रों का संचालन हुया, उनके नाम तथा शक्ति इस प्रकार हैं–
क्रम संख्या | अस्त्र का नाम तथा शक्ति |
पहला अस्त्र | आग्नेय अस्त्र जिससे आग उत्पन्न की जा सकती है। |
दुसरा अस्त्र | वारुण अस्त्र जिससे जल उत्पन्न किया जा सकता है। |
तीसरा अस्त्र | वायव्य अस्त्र जिससे आँधी चलने लगती है। |
चौथा अस्त्र | पर्जन्य अस्त्र जो बादल पैदा कर देता है। |
पाँचवां अस्त्र | भौम अस्त्र जिससे पृथ्वी उत्पन्न की जाती है। |
छठा अस्त्र | पार्वत अस्त्र जिससे पर्वत उत्पन्न हों। |
सातवां अस्त्र | अन्तर्धान अस्त्र जिससे स्वयं अद्रश्य हो जायें। |