चन्द्रमा की एक कला को तिथि कहते हैं। तिथियाँ 1 से 30 तक एक मास में 30 होती हैं। ये पक्षों में विभाजित हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 – 15 तिथियाँ होती हैं। इनकी क्रम – संख्या ही इनके नाम हैं। ये हैं –
- प्रतिपदा
- द्वितीया
- तृतीया
- चतुर्थी
- पञ्चमी
- षष्ठी
- स्पतमी
- अष्टमी
- नवमी
- दशमी
- एकादशी
- द्वादशी
- त्रयोदशी
- चतुर्दशी तथा
- पूर्णिमा और अमावस्या
शुक्ल पक्ष की अन्तिम तिथि 15वीं पूर्णमासी या पूर्णिमा है तथा कृष्ण पक्ष की अन्तिम तिथि 30वीं अमावस्या है।
जिस दिन सूर्य और चन्द्रमा आमने-सामने अर्थात् 6 राशि या 180 अंश के अन्तर पर होते हैं, वह तिथि पूर्णमासी कहलाती है।
अमावस्या तिथि के दो प्रकार हैं।
- सिनीवाली अमावस्या। जो चतुर्दशी तिथि मिश्रित हो।
- कूहू अमावस्या। जो प्रतिपदा मिश्रित हो।
पूर्णमासी के दो प्रकार हैं।
- ‘अनुमति’ पूर्णिमा
- ‘राका’ पूर्णिमा
(गीता प्रैॅस द्वारा प्रकाशित कल्याण पत्रिका से लिया गया)