देवी सीता को अशोक वाटिका में सर्व प्रथम किसने देखा था

यदि आप सोच रहे हैं कि हनुमान ने ही सर्व प्रथम अशोक वाटिका में देवी सीता को देखा था तो आप एक घटना भूल रहे हैं जो कि हनुमान के लङ्का पहुँचने से पहले घटी थी। वस्तुतः उस घटना से ही हनुमान को ज्ञात हुआ था कि देवी सीता कहाँ पर हैं।

आयें इस घटना पर चर्चा करते हैं तथा देखते हैं कि कौन था जिसने देवी सीता की व्यथा पूर्ण स्थिती का वृतान्त हनुमान को सुनाया था।

देवी सीता के रावण द्वारा हरण पश्चात् भगवान राम तथा लक्ष्मण वन में उनकी खोज में निकले। पक्षीराज जटायु से भेंट से उनको पता चला कि कैसे रावण के साथ युद्ध में वो घायल हो गये तथा ये वृतान्त सुनाने के लिये ही अपने प्राणों को रोके हुये हैं। उनका यथा योग्य संस्कार करने के उपरान्त दोनों भाईयों की भेंट हनुमान से हुई जिस के पश्चात् वानरराज सुग्रीव से उनकी मैत्री हो गयी।

वानरराज सुग्रीव ने अपनी समस्त सेना देवी सीता की खोज हेतु चारों दिशाओं में भेज दी। ऐसी ही वानर यूथ की एक टुकड़ी में हनुमान, जामवन्त तथा अङ्गद आदि सदस्य थे। वो समुद्रतट पर पहुँचे तो उनकी भेंट पक्षीराज सम्पाति से हुई। सम्पाती जटायु के अग्रज थे तथा उनका अपने अनुज के प्राण त्यागने का अत्यन्त दुःख हुआ।

उस वानर टुकड़ी का प्रयोजन जान लेने के उपरान्त पक्षीराज सम्पाति ने अपनी गिद्ध दृष्टि से देवी सीता को अशोक वाटिका में एक पेड़ के नीचे बड़ी ही व्यथित स्थिति में देखा। वो भगवान राम को मिलने को व्याकुल थीं।

ऐसा ज्ञात होते ही वानर टुकड़ी में एक तरङ्ग दौड़ गयी। इसके पश्चात् हनुमान ने समुद्र लाङ्घकर माता सीता को साँत्वना दी कि शीघ्र ही भगवान राम उनको ले जाने के लिये आयेंगे।

तो इस घटनाक्रम से हमें ज्ञात होता है कि देवी सीता को सर्व प्रथम सम्पाति ने अशोक वाटिका में देखा था हनुमान ने नहीं।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.