महाभारत के प्रथम खण्ड में धृष्टद्युम्न अपनी बहन द्रौपदी को उसके स्वयंवर में पधारे हुये राजा तथा राजकुमारों के नाम ज्ञात करवाता है। इन सभी नामों में आपको पाण्डवों के नाम नहीं मिलेंगे क्योंकि उस समय वो सभी से छिपकर क्षत्रियों का भाँति ना रहकर ब्राह्मण वेष धारण करके रहते थे। केवल श्री कृष्ण ही जानते थे कि पाण्डव भी उस सभागार में उपस्थित थे। इसी लिये धृष्टद्युम्न उनको ना पहचान सकने के कारण उनका नाम द्रौपदी को नहीं बताता।
दुर्योधन, दुर्विषह, दुर्मुख, दुष्प्रधर्षण, विवंशति, विकर्ण, सह, दुःशासन, युयुत्सु, वायुवेग, भीमवेगरव, उग्रायुध, बलाकी, करकायु, विरोचन, कुण्डक, चित्रसेन, सुवर्चा, कनकध्वज, नन्दक, बाहुशाली, तुहुण्ड, तथा विकट–धृतराष्ट्र के इन पुत्रों के अतिरिक्त और पुत्र भी कर्ण के साथ पधारे थे।
गान्धार राज सुबल के पुत्र शकुनि, वृषक, बृहद्बल। गान्धार राज के ये सभी पुत्र। अश्वत्थामा और भोज। राजा बृहन्त, मणिमान्, दण्डधार, सहदेव, जयत्सेन, राजा मेघसन्धि, अपने दोनों पुत्रों शङ्ख और उत्तर के साथ राजा विराट, वृद्धक्षेम के पुत्र सुशर्मा, राजा सेनाबिन्दु, सुकेतु और उनके पुत्र सुवर्चा, सुचित्र, सुकुमार, वृक, सत्यधृति, सूर्यध्वज, रोचमान, नील, चित्रायुद, अंशुमान्, चेकितान, महाबली श्रेणिमान्, समुद्रसेन के प्रतापी पुत्र चन्द्रसेन, जलसन्ध, विदण्ड और उनके पुत्र दण्ड, पौण्ड्रक वासुदाव, पराक्रमी भगदत्त, कलिङ्गनरेश, ताम्रलिप्त-नरेश, पाटन के राजा, अपने दो पुत्रों वीर रुक्माङ्गद तथा रुक्मरथ के साथ महारथी मद्रराज शल्य, कुरुवंशी सोमदत्त तथा उनके तीन महारथी शूरवीर पुत्र भूरि, भूरिश्रवा और शल, काम्बोजदेशीय सुदक्षिण, पुरुवंशी दृढ़धन्वा।
महाबली, सुषेण, उशीनरदेशीय शिबि तथा चोर-डाकुओं को मार डालनेवाले कारूषाधिपति भी यहाँ आये हैं। इधर संकर्षण, वासुदेव, (भगवान् श्रीकृष्ण) रुक्मिणीनन्दन पराक्रमी प्रद्युम्न, साम्ब, चारुदेष्ण, प्रद्युम्नकुमार अनिरुद्ध, श्रीकृष्ण के बड़े भाई गद, अक्रूर, सात्यकि, परम बुद्धिमान् उद्धव, हृदिकपुत्र कृतवर्मा, पृथु, विपृथु, विदूरथ, कङ्क, शङ्कु, गवेषण, आशावह, अनिरुद्ध, शमीक, सारिमेजय, वीर, वातपति, झिल्लीपिण्डारक तथा पराक्रमी उशीनर–ये सब वृष्णिवंशी कहे गये हैं।
भगीरथवंशी बृहत्क्षत्र, सिन्धुराज जयद्रथ, बृहद्रथ, बाह्लीक, महारथी श्रुतायु, उलूक, राजा कैतव, चित्राङ्गद, शुभाङ्गद, बुद्धिमान् वत्सराज, कोसलनरेश, पराक्रमी शिशुपाल तथा जरासन्ध–ये तथा और भी अनेक जनपदों के शासक भूमण्डल-में विख्यात बहुत-से क्षत्रिय वीर पधारे थे।