सौरमास – इस मास का सम्बन्ध सूर्य से है। पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण सूर्य विभिन्न राशियों को भोगता हुआ प्रतीत होता है। सूर्य एक राशि में जितनी अवधि तक रहता है उस अवधि को एक सौर मास कहा जाता है। राशियों की लम्बाई में अन्तर होने के कारण सौर मास कम-से-कम 29 दिन तथा अधिक-से-अधिक 32 दिन का होता है। बारह सौर मास अर्थात् एक वर्ष का मान 365 दिन 6 घण्टे 9 मिनट 10.8 सेकेण्ड होता है।
चान्द्रमास – शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक एक चान्द्रमास माना जाता है। अमावस्या को सूर्य-चन्द्र एक राशि के समान अन्शपर होते हैं, अत: सूर्य-चन्द्रमा का अन्तर ही चान्द्रमास कहलाता है। चान्द्रमास 29 दिन 31 घटी 50 पल 7 विपल 30 प्रतिविपल का होता है।
नाक्षत्रमास – चन्द्रमाद्वारा 27 नक्षत्रों को पार करने के काल को नाक्षत्रमास कहते हैं। नाक्षत्रमास 27 दिन 19 घटी 17 पल 58 विपल का होता है।
सावनमास – 30 दिन का माना जाता है। लोक व्यवहार एवं पञ्चाङ्गों में चान्द्रमास को स्वीकारा गया है। यह मास वास्तव में अमावस्या से अगले दिन अर्थात् शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ हो कर अमावस्या को समाप्त होता है। तभी पूर्णिमा की 15 तथा अमावस्य की 30 अङ्क से प्रकट किया जाता है। सभी पञ्चाङ्गों में विक्रम अमावस्या को पूर्ण होता है, पर लोक व्यवहार में चान्द्रमास पूर्णिमा के अगले दिन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तक माना जाता है।
(गीता प्रैॅस द्वारा प्रकाशित पत्रिका कल्याण से लिया गया)