प्रिय पाठको
पिछले दो लेखों के माध्यम से हमने केवल विवाहित पुरुषों अर्थात् पतियों को क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये पे चर्चा की। इस लेख में पति पत्नी दोनों पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करेंगे। आशा यही है कि ये सुझाव आप लोगों को रुचिकर तथा प्रयोगात्मक लगेंगे।
- पति पत्नी को सहनशीलता का अभ्यास करना चाहिये। दो व्यक्तियों के विचारों तथा रहन-सहन के ढङ्ग भिन्न हो सकते हैं। परन्तु विवाहोपरान्त दोनों को एक दूसरे का साथ देते हुये जीवन व्यतीत करने का प्रयास करना चाहिये।
- पति पत्नी ये मन्त्र को अपनाने का यत्न करें–साथ कार्य करें, साथ खेलें तथा साथ ही आगे बढ़ें।
- छोटी छोटी लड़ाई झगड़े को टालने का यत्न करें। एक दूसरे की भावनाओं को और समझने का यत्न करें। बड़ी लड़ाईयाँ अपने आप ही दूर रहेंगी।
- आपसी आदान-प्रदान को बढ़ावा दें। सामाग्रिक होना आवश्यक नहीं है। भावनात्मक आदान-प्रदान भी उतना ही अावश्यक है।
- आमोद-प्रमोद में विश्वास रखें। प्रतिदिन की अधिकतर समस्यायें इसी मनोभाव से ठीक हो जाती हैं।
- खाना खाते समय अच्छी मनोस्थिति रखने का प्रयास करें। यदि खाना अच्छा लगे तो उसकी सराहना करने से ना झिझकें।
- एक दूसरे के माता-पिता का आदर-सम्मान करें।
- एक दूसरे के व्यक्तिगत स्थान का मूल्य जानें। एक दूसरे की व्यक्तिगत प्रतिभाओं को प्रोत्साहन दें।
- एक दूसरे के कार्यों, रुचियों तथा प्रयासों के लिये परिस्थितियों से लड़ें। ऐसा करने से एक-दूसरे से लड़ाई की संभावना कम होगी।
- एक दूसरे की अध्यात्मिक आस्था तथा विश्वास को प्रोत्साहन दें तथा अपना विश्वास या विचारधारा दूसरे पर ना थोपें।
the best !
Happy you liked it, Ravindra.
Nic lines. To ipmrove life style
Happy you liked it, Chander.