विवाह एक ऐसी वय्वस्था है जो हर एक के लिये निराली सिद्ध होती है–मेरी व्यक्तिगत मान्यता ये है कि कोई भी दो विवाह बन्धन एक जैसे नहीं होते। हर किसी में अपनी-अपनी विलक्षणता तथा विभिन्नता होती है। मैं ये मानता हूँ कि यही विलक्षणता ही विवाह की विधि को नवीनता प्रदान करता है।
हम इस लेख में ऐसे कुछ सुझाव जानेंगे जो एक विवाह संबन्ध को सुदृढ तथा सुखद बनाते हैं
- एक दूसरे को उपहार देते समय वस्तु के मूल्य के स्थान पर उससे बनने वाले जुड़ाव की ओर अधिक ध्यान दें।
- एक दूसरे की बात को सुनना सीखें। भले ही हर बात को माना ना जा सके पर एक अच्छे पति-पत्नी का बन्धन सुनने की प्रेरणा देता है।
- एक दूसरे के साथ सहजता का बर्ताव करें। एक दूसरे में शीघ्र बदलाव लाने का यत्न ना करें। एक दूसरे को जानने तथा ढलने का समय दें।
- ये समझ लें कि संसार की कोई भी वस्तु आपस के बन्धन से बढ़कर नहीं हो सकती। एक दूसरे को सर्वाधिक मान्यता दें। सांसारिक वस्तुयें आती-जाती रहेंगी।
- एक दूसरे के लिये प्रेरणा का स्रोत बनें। एक दूसरे के गुणों को बढ़ावा दें तथा अवगुणों को सहजता तथा प्रेम से दूर करने का यत्न करें।
- व्यञ्जन बनाना एक ऐसी प्रक्रिया है जो विवाह बन्धन को अधिक मात्रा में बल देती है। सब प्रकार की स्त्रियाँ ये चाहती हैं कि उनके पति जब भी हो सके उनके लिये किसी प्रकार का भोजन बनायें। पुरुष तो सर्वदा चाहते ही हैं कि उनकी पत्नियाँ उनको सदा अच्छे-अच्छे पकवान खिलाती रहें।
- सप्ताह या मास में एक बार आमोद-प्रमोद से भरी कोई क्रीड़ा या उद्योगिता अवश्य करें। ऐसा करने से मन की थकान मिटती है।
- एक दूसरे के सबसे गूढ़ मित्र बनें। यदि आपस में बात करने में ही झिझक होती है तो समझ लें कि वो बन्धन में विश्वास की अपर्याप्तता है।
- एक दूसरे से कभी भी अपशब्द ना कहें। यदि कोई ऐसी बात जो किसी को रुचिकर ना लगे तो उसे प्रेम से तथा सहजता से बतायें। कड़वे शब्दों का फल कड़वा ही निकलता है।
- एक दूसरे का जन्मदिन स्मरण रखने का प्रयास करें। ये सुझाव विशेषतः पुरुषों के लिये है।