आजकल एक गाना चारों ओर से कानों में ध्वनित होता है।
चिट्टियाँ कलाईयाँ वे, ओ बेबी मेरी चिट्टियाँ कलाईयाँ वे…
90 के दशक का एक और गाना स्मरण में आता है जो कि अमिताभ बच्चन तथा जया प्रदा पर फिल्माया गया था
गोरी हैं कलाईयाँ, तू ला दे मुझे हरी हरी चूडियाँ…
हरी चूड़ियाँ तो समझ में आती हैं पर मुझे आज तक ये समझ नहीं आया कि केवल गोरी कलाईयाँ होने का क्या अभिप्राय है। यदि किसी स्त्री का रङ्ग गोरा है तो उसकी कलाईयाँ गोरी ही होंगी और यदि उसका रङ्ग साँवला या श्याम वर्ण है तो केवल गोरी कलाईयाँ तो सुन्दरता को कम करेंगी ना कि उसको बढ़ायेंगी।
कल को यदि कोई ऐसा गाना बने जिसमें एक लड़की बोले कि मेरी एड़ी गोरी है और उसके लिये झाँझर (पायल) ले आओ तो मैं मानता हूँ कि वो भी ऐसी ही श्रोतागणों के मस्तिष्क पे चढ़ कर बोलेगा।
मैं ये मानने से मना नहीं कर सकता कि बॉलीबुड में चिरकाल से ऐसे कई गाने चलते आ रहें हैं जिनका शाब्दिक अर्थ नहीं होता पर ये गोरी कलाईयों का विषय तो पुनः उठाया गया है। क्या कुछ ऐसा रहस्य है इन गोरी कलाईयों में जो मुझे समझ नहीं आ रहा।
यदि आपको ये ज्ञात है तो मुझे समझाने का कष्ट अवश्य करें।
सादर प्रणाम।