सुहागरात वो अवसर है जब पति पत्नी अपने बन्धन को प्रेम के धागे में पिरो सकते हैं तथा एक सुखमय जीवन की परिकल्पना को वास्तविक्ता में ढालने का सटीक आरम्भ कर सकते हैं।
पदार्थवाद से ऊपर उठकर नव दम्पति को एक दूसरे के सबसे बड़े सहायक तथा प्रोत्साहक बनना चाहिये। पति पत्नी के लिये सबसे बड़ी भेंट जीवन में एक दूसरे की उपस्थिति ही होनी चाहिये।
इस लेख के माध्यम से हम कुछ ऐसे ही वचनों पर चर्चा करेंगे जो कि एक मीठी भेंट की भाँति दम्पति के जीवन में मिठास घोल सकते हैं।
- एक दूसरे के सबसे घनिष्ठ मित्र बनने का वचन। मित्रता में आडम्बर नहीं होता जिसका विवाहित जीवन में कोई स्थान नहीं होना चाहिये।
- एक दूसरे से झगड़ा ना करने का वचन। ये सत्य है कि विवाहित जीवन में कठिन समय आता है तथा एक दूसरे के साथ मन-मुटाव भी होता है। परन्तु इस कभी कभी पैदा होने वाली कड़वाहट को न्यूनतम रखने का प्रयत्न करना अनिवार्य है।
- एक दूसरे पर दोषारोपण ना करने का वचन। यदि कोई दोष हो भी तो उसे बातचीत से दूर करने का यत्न ना कि दोष को लेकर बवाल मचाना।
- किसी भी स्थिति में झूठ ना बोलने का वचन। झूठ जैसे ही विवाहित जीवन में आया बन्धन दुर्बल होना आरम्भ हो जायेगा।
- निर्धनता या धनाढ्यता में एक दूसरे का साथ ना छोड़ने का वचन।
- कार्यालय से वापस आने के उपरान्त एक दूसरे को थकाने वाली बातें ना करने का वचन।
- एक दूसरे को समान कर्तव्य तथा समान अधिकार देने का वचन।
- एक दूसरे के परिजनों को नीचा ना दिखाने का वचन।
- परस्पर प्रेम को फ़ेसबुक लाईक या मोबाइल पे कितने समय के लिये बात होती है इसके आधार पर ना आङ्कने का वचन।
- यदि कोई भूल हो जाये तो उसे क्षमा करने का स्वभाव बनाने का वचन। यदि अहङ्कार में आकर मानसिक चोट पहुँचाने का स्वभाव बढाया जाये तो विवाहित जीवन दुखदायक बन जाता है।